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Mahatma Gandhi Ka Chhattisgarh Aagaman

   

* महात्मा गाँधी का छत्तीसगढ़ आगमन *

Gandhi ji in kandel chhattisgarh me gandhi ji


महात्मा गाँधी का छत्तीसगढ़ में "2 बार" आगमन हुआ :-

1) प्रथम आगमन : 20 - 22 दिसम्बर 1920 को 

2) द्वितीय आगमन : 22 - 28 नवम्बर 1933 को 



1) प्रथम आगमन : 20 -22 दिसम्बर 1920 को :


                उद्देश्य :    1) असहयोग आंदोलन के लिए लोगों को जागरूक करना 

                                2) तिलक स्वराज फण्ड के लिए पैसे इकठ्ठा करना 

                                3) कंडेल नहर सत्याग्रह को समर्थन देने (धमतरी जिला)


                कहाँ से आये :-- कलकत्ता से, (कलकत्ता में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में 

                                                              भाग लेने के पश्चात्)

                कहा पहुंचे :-- कलकत्ता से रायपुर पहुंचे 

                किस माध्यम से आये :-- रेलगाड़ी से 

                किसके बुलाने पर आये :-- पं सुंदरलाल शर्मा के आमंत्रण पर 

            

                गाँधी जी के साथ कौन कौन आये :-- 1) मौलाना शौकत अली

                                                          2) महादेव देसाई (गांधीजी के निजी सचिव)


20 दिसम्बर 1920:

रायपुर पहुंचे, जहाँ उनका विशेष स्वागत किया गया 

रायपुर पहुंचने पर पता चला की कंडेल नहर सत्याग्रह सफलता पूर्वक समाप्त हो गया है 

(अंग्रेजों ने गाँधी जी आगमन की खबर सुन जल-कर माफ़ कर दिया )

रायपुर में एक चौंक में सभा ली, आज उस चौंक को "गाँधी चौंक" के नाम से जाना जाता है | 




21 दिसंबर 1920 : 

धमतरी पहुंचे, धमतरी पहुंचने पर कंधो पर बिठाया : व्यापारी उमर सेठ ने 

धमतरी में रुके नारायण राव मेघावाले  के घर में |  

धमतरी में जानी हुसैन के बाड़े में सभा ली | 

तिलक स्वराज फण्ड में 501 रूपये दान दिया   --- बाजीराव कृदत्त ने | 

कंडेल ग्राम पहुंचे ---वहाँ ग्रामीणों का साहस बढ़ाया | 

फिर कुरुद होते हुए उसी दिन रायपुर पहुंचे | 



22 दिसम्बर 1920: 

रायपुर के आनंद समाज वाचनालय में महिलाओं को सम्बोधित किया, यहाँ महिलाओ ने तिलक स्वराज फण्ड में अपने जेवर भी दान दे दिए | 

22 दिसम्बर 1920 को गाँधी जी रायपुर से नागपुर को चले गये |



2) द्वितीय आगमन : 22 - 28 नवम्बर 1933 को : 


                उद्देश्य :    1) हरिजन यात्रा के दौरान  

                                2) अस्पृश्यता का अन्त करना 


                कहाँ से आये :-- नागपुर से 

                कहा पहुंचे :--  नागपुर से दुर्ग पहुंचे, फिर रायपुर 

                किस माध्यम से आये :-- रेलगाड़ी से 

            

22 नवम्बर 1933:

दुर्ग पहुंचे ---- 50,000 लोगों की सभा को सम्बोधित किया, घनश्याम सिंह गुप्त साथ रहे


उसी दिन रायपुर पहुंचे

रायपुर में रविशंकर शुक्ल के घर पर रहे | 



24 नवम्बर 1933

रायपुर के लॉरी स्कूल (वर्तमान-सप्रे स्कूल) में सभा ली | 

रायपुर टुरी-हटरी में हनुमान मंदिर के पास स्थित कुएं को सभी के लिए खोला | (पहले यहाँ तथाकथित अछूत जातियों के लोगों  मिलना प्रतिबंधित था)

पं. सुन्दर लाल शर्मा को यहाँ गाँधी जी ने हरिजन उत्थान के लिए अपना गुरु माना | 

सतनामी आश्रम की यात्रा की 


25 नवम्बर 1933 

धमतरी, राजिम कुरुद गए 


26 नवम्बर 1933 

बिलासपुर, बलौदाबाजार, खरोरा गए 


28 नवम्बर 1933 

रायपुर वापस आये 

दुर्ग होते हुए बालाघाट को चले गए 







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