ठाकुर प्यारेलाल सिंह
छत्तीसगढ़ में सहकारिता के जनक ठाकुर प्यारेलाल सिंह एक प्रखर तथा ओजस्वी राष्ट्रवादी नेता थे।
जन्म :- 21 दिसम्बर 1891 ई. में
स्थान :- ग्राम - देहात, जिला - राजनांदगांव में
पिता :- ठाकुर दीन दयाल सिंह त
माता :- नर्मदा देवी था
पुत्र :- हरि ठाकुर
राजनीतिक जीवन और स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान :-
ठाकुर साहब का राजनीतिक जीवन सन 1905-06 से आरंभ हुआ।
स्वदेशी तथा बहिष्कार आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
सरस्वती पुस्तकालय :- 1909 में राजनांदगांव में सरस्वती पुस्तकालय की स्थापना।
सहयोग :- पं. राजू लाल शर्मा, छबिराम चौबे तथा सीताराम साव।
1914 में राजनांदगांव के दीवान कुतुबुद्दीन को पद से हटाने के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया।
1918 में नवयुवक सभा की स्थापना की।
1920 में, अप्रैल में इन्होंने राजनांदगांव के "BNC MILL"(बीएनसी मिल) में मजदूरों की हड़ताल का नेतृत्व किया, जो 37 दिनों तक चली। इस हड़ताल की अवधि के भूतपूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी भी आए थे।
ठाकुर प्यारेलाल दुर्ग जिले में असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया
2-3 जून 1926 को रायपुर में छत्तीसगढ़ छात्र सम्मेलन की अध्यक्षता की।
1930 में बंदोबस्त को लेकर किसानों में असंतोष था ठाकुर साहब ने गांव-गांव में किसानों को जागृत किया।
पट्टा मत लो, भू-दान तथा सर्वोदय आंदोलन का सफल संचालन किया। हरिजन उत्थान में भी सक्रिय रहे।
1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान अर्जुन कहलाए।
1933-30 तक महाकोशल प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के मंत्री नियुक्त हुए।
1936 में रायपुर से प्रांतीय विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
1936 में राजनांदगांव मिल मजदूरों में से 10% की छंटनी की जा रही थी, जिसके खिलाफ ठाकुर साहब ने दीवान मैक गाविन के समक्ष अपना विरोध जताया।
छत्तीसगढ़ एजुकेशन सोसायटी तथा 1945 में छत्तीसगढ़ राज्य बुनकर संघ की स्थापना की।
1950 में "राष्ट्रबंधु: नामक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन किया।
1951 में कृषक मजदूर प्रजा पार्टी में शामिल हुए, तथा रायपुर के प्रांतीय विधानसभा में चुने गए।
1954 में "शंकरदेव" तथा "दादाभाई नायक" के साथ सर्वोदय आंदोलन हेतु पदयात्रा अभियान के दौरान 20 अक्टूबर 1954 को जगदलपुर के निकट पिसनहारी की मढिया में उनका निधन हो गया।
मावली प्रसाद श्रीवास्तव ने प्यारेलालजी पर एक काव्यांजलि की रचना की है।
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