छत्तीसगढ़ की 14-रियासतें |
स्वतंत्रता के समय छत्तीसगढ़ के अंतर्गत कुल 14-रियासतें आती थीं, जिनका विलय बाद में विलय किया गया। वे 14-रियासतें इस प्रकार थीं:-
- सरगुजा
- उदयपुर
- जशपुर
- कोरिया
- चांगभखार
- रायगढ़
- सारंगढ़
- सक्ति
- कवर्धा
- छुईखदान
- खैरागढ़
- राजनांदगांव
- कांकेर
- बस्तर
1) सरगुजा:-
यह 6055 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला हुआ था
सरगुजा का प्रचीन नाम डाडोर था
यह रक्सैल राजवंश शासन करता था
प्रमुख शासक:- अजित सिंह, बलभद्र सिंह, लाल संग्राम सिंह, इंद्रजीत सिंह, रघुनाथ सिंह, रामानुज चरण सिंहदेव
लाल संग्राम सिंह:- यह बलभद्र सिंह की हत्या कर गद्दी पर बैठा। 1818 के चौथें आंग्ल-मराठा युद्ध के पश्चात् सरगुजा और जशपुर की रियासतें मराठों ने अंग्रेजों को सौंप दी।
रघुनाथ सिंह:- वायसरॉय लॉर्ड एल्गिन ने इसे राजा बहादुर की उपाधि दी। इसी समय सरगुजा रियासत को बंगाल प्रान्त से मध्य प्रान्त में लाया गया था।
2) उदयपुर:-
1818 के उदयपुर का क्रमबद्ध इतिहास प्राप्त होता है
प्रमुख शासक:- कल्याण सिंह, लाल विन्धेश्वरी प्रसाद सिंहदेव, धर्मजीत, चद्रशेखर प्रताप सिंह, चंद्रचूड़ सिंह
कल्याण सिंह:- 1852 में डलहौजी कल्याण सिंह को नर-बलि का आरोप लगाकर जागीर हड़प लिया।
इन्होंने 1857 की क्रांति में भाग लिया
धर्मजीत:- जिन्होंने "रामको" नामक गांव को राजधानी बनाया तथा उसका नाम "धर्मजयगढ़" रखा।
सन 1877 में लॉर्ड लिटन ने इन्हें राजा की उपाधि दी।
दिसंबर 1947 को इस रियासत का विलीनीकरण हो भारत संघ में गया।
3) जशपुर रियासत:-
इसका प्रारंभिक इतिहास अज्ञात है। पहले यहाँ राज्य डोम राजाओं द्वारा शासित था।
राजा रणजीत सिंह देव के बाद का इतिहास उपलब्ध है। जिसके अंतर्गत बताया गया है कि सरगुजा के लाल संग्राम सिंह ने जशपुर के तीन चौथाई हिस्से पर अधिकार कर लिया था तथा रणजीत सिंह की हत्या की थी।
प्रमुख शासक:- रणजीत सिंहदेव, प्रताप सिंहदेव, विष्णु प्रताप सिंहदेव, देवशरण सिंह, दिलीप सिंह जूदेव
1923 में विष्णुदेव सिंहदेव पर कुशासन का आरोप लगाकर लार्ड हार्डिंग ने उन्हें अपने अधिकार में कर लिया।
प्रताप सिंह:- प्रताप सिंह की मृत्यु चेचक बीमारी से हुई थी।
विष्णु प्रताप सिंहदेव:- इसके काल में जशपुर मध्य प्रांत में शामिल हुआ।
4) कोरिया रियासत:- 1818 में अप्पा साहब ने इसे अंग्रेजों को दे दिया। उस समय गरीब सिंह स्वामी था।
प्रमुख शासक:- अमोल सिंह, रामानुजप्रताप सिंह (इन्होंने गोलमेज सम्मेलन-1931 में छोटे राज्यों के प्रतिनिधि बनकर हिस्सा लिया)
5) चांगभखार रियासत:- 1905 तक छोटा नागपुर का क्षेत्र था, जिसकी राजधानी भरतपुर थी।
इसका कोरिया रियासत पारिवारिक सम्बन्ध था।
संस्थापक:- जगजीत सिंह। इन्हें "भैया" भी उपाधि दी गई।
प्रमुख शासक:- जगजीत सिंह, बलभद्र सिंह, महावीर सिंह, कृष्णराज सिंह।
6) रायगढ़ रियासत:-
संस्थापक:- राजा मदन सिंह। यह राजगोंड थे।
इस वंश के पांचवे राजा जुझारू सिंह से क्रमबद्ध इतिहास का विवरण मिलता है।
प्रमुख शासक:- मदन सिंह, जुझारू सिंह, देवराज सिंह, घनश्याम सिंह, भूपदेव सिंह, नटवर सिंह, चक्रधर सिंह
देवनाथ सिंह:- इन्होंने 1833 की बरगढ़ विद्रोह और 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया।
भूपदेश सिंह:- इन्हें राजा बहादुर की उपाधि प्राप्त हुई।
चक्रधर सिंह:- उन्होंने कथक नृत्य की उन्नति एवं इसे लोकप्रिय बनाने हेतु तथा संगीत कला के उत्थान के लिए चक्रधर समारोह की शुरुआत की।
7) सारंगढ़ रियासत:-
संस्थापक :- नरेंद्र साय
प्रमुख शासक:- नरेंद्र साय, हम्मीर साय, नार्बर साय, धनजी, उदयभान, वीरभान, कल्याण साय, विश्वनाथ साय, संग्राम सिंह, नरेश सिंह।
विश्वनाथ साय:- इन्हें संबलपुर के शासक चैतसिंह ने "सरिया" नामक पर उपहार में दिया था।
संग्राम सिंह:- 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया।
नरेश सिंह:- इसके काल में यह रियासत भारत संघ में शामिल हुआ।
8) सक्ति रियासत:-
संस्थापक:- हरि एवं गुर्जर नामक दो भाई।
प्रमुख शासक:- कलंदर सिंह, रणजीत सिंह, रूपनारायण सिंह, नरेश सिंह
1865 में रणजीत सिंह को राजकीय कार्यों से वंचित करके अंग्रेजों ने उसका प्रशासन अपने हाथों में ले लिया।
1947 में यह रियासत भारत संघ में शामिल हो गया।
छत्तीसगढ़ की सबसे छोटी रियासत थी।
9) राजनांदगांव रियासत:- इसका निर्माण पांडादाह, मोहगांव एवं डोंगरगढ़ परगना को मिलाकर हुआ।
प्रमुख शासक:- मौजीराम, घासीदास, बलरामदास, महंत सर्वेश्वर दास, दिग्विजय राम।
बलराम दास:- इसके काल में पहली बार सूती कपड़ा मिल की स्थापना हुई।
10) खैरागढ़ रियासत:-
संस्थापक:- लक्ष्मी निधि राय
ये स्वयं को छोटा नागपुर के नागवंशी राजपूत राजा सभासिंह का वंशज मानते थे।
1756 में लक्ष्मी राय ने खोलवा को खैरागढ़ के रूप में स्थापित किया।
प्रमुख शासक:- लाल फ़तेह सिंह, वीरेंद्र बहादुर सिंह, लाल बहादुर सिंह।
लाल फतेह सिंह:- 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया, जिसके कारण कंपनी ने इन्हें फिड्यूटरी चीफ स्वीकार किया।
वीरेंदर बहादुर:- 1931 के गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया
11) छुईखदान रियासत:-
संस्थापक:- महंत रूपदास। इन्होंने इस रियासत को परपोड़ी के जमींदार को दिये गए ऋण के बदले प्राप्त किया।
प्रमुख शासक:- रूपदास, ब्रह्मदास, तुलसीदास, लक्ष्मण दास।
1780 में भोसले ने तुलसीदास को कोंडका का जमींदार स्वीकार किया।
1845 में लक्ष्मण दास के काल में छुई खदान ब्रिटिश नियंत्रण में आया।
12) कवर्धा रियासत:-
संस्थापक:- महाबली सिंह
1865 में जॉन लॉरेंस ने कवर्धा के जमींदारों को सामंती राज की छूट दी।
प्रमुख शासक:- महाबली सिंह, धर्मराज सिंह
सन 1948 के मध्य प्रांत में शामिल हुआ।
13) कांकेर रियासत:-
संस्थापक:- कन्हर देव
रहिपाल नामक शासक के बाद क्रमबद्ध इतिहास की जानकारी मिलती है।
प्रमुख शासन:- कन्हर देव, नरहर देव, भानुप्रताप देव।
भानुप्रताप देव चेंबर ऑफ प्रिंसेस के सदस्य थे।
14) बस्तर रियासत:-
यह एक प्रमुख रियासत थी जो 1306 वर्ग किलोमील क्षेत्र में फैली थी।
प्राचीन काल में नल वंश के शासकों का प्रभुत्व था। बाद में छिन्दक नाग वंश और काकतीय वंश ने शासन किया।
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