युवाओं पर मादक पदार्थों का प्रभाव
युवा ही राष्ट्र की वास्तविक शक्ति है................."स्वामी विवेकानंद"
नशा एक अभिशाप है, यह एक ऐसी बुराई है जिससे मनुष्य का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत के मुंह में चला जाता है। नशे के लिए व्यक्ति शराब, गांजा, भांग, अफीम, गुटखा, तंबाकू, धूम्रपान जैसे घातक मादक पदार्थों का उपयोग करता है। इससे उस व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक हानि तो होती है। साथ-ही-साथ सामाजिक वातावरण भी दूषित होता है। आज इससे बच्चे व युवा वर्ग पूरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में उत्पादित मादक पदार्थों का 6% भाग भारत में खपत होता है। यह दुर्भाग्य की बात है कि आजकल युवा इन बुराइयों को फैशन और शौक के रूप में अपना लेते हैं, तथा धीरे-धीरे आदी हो जाते हैं। इससे वे स्वयं का भविष्य तो खराब करते ही हैं साथ ही साथ राष्ट्र को भी विश्व के समक्ष निर्बल बनाते हैं।
युवा शक्ति का परिचय:-
युवाओं में वह शक्ति है जो यदि एकजुट हो जाए तो बड़े से बड़े साम्रज्य को जड़ सहित बुखार फेंक सकता है। भारतीय इतिहास में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं। यदि इन्हें सही दिशा मिल जाए तथा किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का सानिध्य मिल जाए तो कोई भी कार्य असंभव नहीं।
चंद्रगुप्त मौर्य को चाणक्य का साथ मिला तथा उसने एक बड़े साम्राज्य की स्थापना की। गांधीजी को उत्साही युवाओं का समर्थन मिला और अंग्रेजी साम्राज्य भारत में जड़ से खत्म हो गया। आदि शंकराचार्य, वल्लभाचार्य, गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी ने भी युवावस्था में ही इतने बड़े कार्य किए जिन से प्रभावित होकर भारतीय समाज में परिवर्तन आए।
हमारा समाज अति-व्यस्तता के कारण एक ऐसे दौर से गुजर रहा है, जहां माता-पिता अपने-अपने व्यवसाय में इतने व्यस्त हैं कि जो समय उन्हें अपने बच्चों को देना चाहिए नहीं दे पा रहे हैं। इससे युवा पीढ़ी मानसिक तनाव एवं सही मार्गदर्शन के अभाव में लक्ष्य से भटक रही हैं। और क्षणिक आनंद की प्राप्ति के लिए मादक पदार्थों की तरफ आकर्षित हो रही है। क्षणिक सुख के लिए युवा पूरे जीवन को विनाशकारी बना रहा है। प्रायः यह देखने में आता है कि अधिकांश किशोर कुसंगति में पड़कर मादक पदार्थों का सेवन करते हैं, जिसके लिए किशोरों को आत्म नियंत्रण रखना चाहिए।
युवा वर्ग का मादक पदार्थों के प्रति आकर्षण का कारण-
युवा वर्ग का मादक पदार्थों के प्रति आकर्षण का विभिन्न कारण है जो कि पारिवारिक, सामाजिक, व्यक्तिगत या मनोवैज्ञानिक भी हो सकता है। जैसे:-
1) उत्सुकता वश - कई बार किशोर परिवार में मादक द्रव्यों का सेवन करने करते हुए अपने पिता या बड़े बुजुर्गों एवं कुछ क्षेत्रों में माताओं को भी देखते हैं, तब उनमें उत्सुकता होती है कि उनका सेवन करके देखें कि कैसा अनुभव होता है। क्योंकि वह अपने माता-पिता को अपना आदर्श मानते हैं। लेकिन वह इसके दुष्प्रभाव से अनभिज्ञ होते हैं।
2) मित्रों के संपर्क- अपने सहपाठियों व हम उम्र के दबाव में आकर भी वह मादक पदार्थों का सेवन करता है। कई बार उसके लाख मना करने पर भी उसके मित्र उसको जबरदस्ती लेने पर मजबूर कर देते हैं। इस तरह वह धीरे-धीरे नशे का आदी हो जाता है।
3) स्वच्छंदता - कुछ युवा छात्रावास एवं शहरों में अकेले अपने माता-पिता से दूर रहते हैं, तथा अपने आप को स्वच्छंद मान नशे की लत में पड़ जाते हैं।
4) पारिवारिक वातावरण - परिवार में माता-पिता की व्यस्तता तथा बच्चों पर ज्यादा ध्यान न दे पाने के कारण किशोरों को नशे की आदत लगना आसान होता है।
5) मीडिया के प्रभाव से - फिल्में, टेलीविजन, रेडियो, पत्रिकाओं आदि में प्रसारित होने वाले विज्ञापनों के प्रभाव से युवा वर्ग में आकर्षण उत्पन्न होता है तथा अपने मनपसंद किरदारों की नकल करने के फेर में वह नशे की लत में फंस जाता है।
6) बच्चों में भेदभाव - कई परिवारों में बच्चों के बीच तुलना होती है इस कारण बच्चों में हीन भावना उत्पन्न होती है और नशाकरने लगते हैं।
7) बच्चों के प्रति अंधविश्वास - कई बार माता-पिता अपने बच्चों पर अत्यधिक निगरानी रखते हैं वह उन पर विश्वास भी नहीं करते इस कारण बच्चे विद्रोह की भावना से इस ओर बढ़ जाते हैं।
8)बेरोजगारी - बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है जो युवाओं को मादक पदार्थों की ओर प्रेरित करता है।
9) प्रेम प्रसंग - कई बार प्रेम में असफल युवा जीवन की महत्व को ना समझ नशा करने लगता है।
मादक पदार्थों का प्रभाव:-
आज हमारे सामने एक सबसे बड़ी सामाजिक समस्या पैदा हो रही है। वह है, युवाओं के नशे का शिकार होना। जिनको देश की उन्नति में अपनी उर्जा लगाने चाहिए वह आज अपनी अनमोल शारीरिक और मानसिक ऊर्जा चोरी, लूटपाट जैसी सामाजिक कुरीतियों में नष्ट कर रहे हैं। आज लगभग 90% युवा नशे की गिरफ्त में है।
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के रिपोर्ट अनुसार दुनिया भर में शराब पीना मौत और अपाहिज होने का पांचवा सबसे बड़ा कारण है। एड्स हिंसा और क्षय रोग की वजह से जितनी मृत्यु हो रही है उससे ज्यादा जाने शराब तथा अन्य नशे के कारण हो रही है। 15 साल से अधिक उम्र का हर व्यक्ति औसत 9.1 लीटर शुद्ध अल्कोहल उपयोग करता है। शराब के उपयोग का वैश्विक औसत 6.2 लीटर है।
आधुनिक समाज में सिगरेट पीना या धूम्रपान सभ्यता का प्रतीक बन गया है। इससे शरीर में कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं। तंबाकू का निरंतर सेवन से मनुष्य के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाती है। सिगरेट पीने से मनुष्य की आयु प्रति सिगरेट 11.5 मिनट कम हो जाती है। सिगरेट बीड़ी आदि के धुएं के साथ मिलकर मनुष्य के मुंह नाक तथा फेफड़ों द्वारा सांस लिया जाता है तब उसे अनुभव होता है कि उसे आराम मिल रहा है। परंतु जब उसका प्रभाव समाप्त हो जाता है तो मनुष्य को सिगरेट पीने की ललक महसूस होती है। धूम्रपान के फल स्वरुप फेफड़ा क्षतिग्रस्त हो जाता है तथा पाचन तंत्र बिगड़ जाता है।
इस प्रकार मादक पदार्थों से ह्रदय रोग, नाक एवं गले के रोग, रक्तचाप में उतार-चढ़ाव होने लगता है। कई बार तो व्यक्ति पागल हो जाता है तथा उसका जीवन दूसरों पर एक बोझ बन जाता है जो मौत से भी बदतर होता है। मिजोरम, पंजाब और मणिपुर राज्य के लोगों को सबसे अधिक नशीली दवाओं का इस्तेमाल करते देखा गया है। इसका एक कारण है, इन राज्यों का अंतर्राष्ट्रीय सीमा और अंतरराष्ट्रीय दवा की तस्करी क्षेत्रों जैसे म्यांमार, थाईलैंड, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान के निकट होना है। सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार पंजाब के 70% युवा नशे से पीड़ित हैं। जिस राज्य से देश को सबसे ज्यादा तथा जाबाज सैनिक मिलते हैं आज वही राज्य नशे से बेहाल है। आलम तो यह है कि युवा नशा करने के लिए प्लास्टिक चिपकाने के सिलोसन आदि पदार्थों का भी उपयोग करते हैं। नशे में पड़कर व्यक्ति स्वयं का जीवन तो नष्ट करता ही है साथ ही साथ अपने परिवार की संपत्ति भी लुटा देता है। इससे समझ आता है कि मादक पदार्थों से केवल क्षति ही होनी है कोई लाभ नहीं है।
नशाबंदी - भारतीय संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में उल्लेखित है कि नशे से मुक्त देश बनाना हमारी प्राथमिकता है। इसका अनुसरण करते हुए गुजरात भारत का पहला राज्य बना जहां शराबबंदी की गई। इसी प्रकार बिहार में भी शराब बंदी की गई।
नशे से रोकना सरकार का भी कर्तव्य है। यदि शराब तथा अन्य नशे की वस्तुओं की बिक्री बंद कर दी जाएगी तो लोगों को ऐसे पदार्थों का मिलना संभव नहीं होगा और धीरे-धीरे नशे की प्रवृत्ति खत्म हो जाएगी। केंद्र सरकार ने एक और कदम उठाते हुए सभी राष्ट्रीय और राष्ट्रीय मार्गो पर 5 मीटर तक मधुशालाओं को बंद करवा दिया है। इस कदम से दुर्घटनाएं खत्म होगी साथ ही साथ यातायात की बाधाएं भी खत्म होगी।
अल्कोहल का उपयोग दवा में निर्माण में भी किया जाता है। इसलिए सरकार द्वारा नियम बनाया गया है कि दवा फैक्ट्रियों में उपयोग हो रहे अल्कोहल का उपयोग अवैध रूप से न हो। दवाइयों को बिना डॉक्टर के पर्चे के नहीं देना चाहिए इस प्रकार दवाओं का सही उपयोग करने सरकार को कड़ा नियम बनाना चाहिए।
युवा तो राष्ट्र का भविष्य है। यदि वही मादक पदार्थों से ग्रसित होकर अपाहिज हो जाए तो राष्ट्र की अर्थव्यवस्था तो ढ़ह ही जाएगी। युवाओं को कर्तव्य परायण बनाना होगा साथ ही साथ उन्हें यह बताना होगा कि ना केवल परिवार को बल्कि पूरे देश को उनकी जरूरत है। हमारे देश के युवा पूरे विश्व में एक आदर्श के रूप में जाने जाते थे फिर आज क्यों पिछड़ रहे हैं। माता-पिता को भी बाल्यावस्था से बच्चों पर ध्यान रखना चाहिए। उन्हें बुराई और अच्छाई में अंतर समझाना चाहिए। मादकता से केवल दुख-कष्ट-भय-आतंकवाद-क्रोध का ही जन्म होता है। अतः युवाओं को अपनी शक्ति सही दिशा में लगाकर देश के तथा स्वयं के उन्नति के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
धर्म विचारों सज्जनों, बनो धर्म के दास।
सच्चे मन से सभी जन, त्यागो मदिरा मांस ।।
Paryavarn-Sainik |
0 Comments